निकले
थे कहाँ जाने के लिये, पहुंचे
है कहाँ मालूम नहीं
अब अपने भटकते क़दमों को, मंजिल का निशान मालूम नहीं |
हमने भी कभी इस गुलशन में, एक ख्वाब-ए-बहारां देखा था
कब फूल झडे, कब गर्द उड़ी, कब आई खिज़ां मालूम नहीं |
दिल शोला-ए-ग़म से खाक हुआ, या आग लगी अरमानों में
क्या चीज़ जली क्यूं सीने से उठता है धुआं मालूम नहीं |
बरबाद वफ़ा का अफ़साना हम किससे कहें और कैसे कहें
खामोश हैं लब और दुनिया को अश्कों की ज़ुबां मालूम नहीं |
अब अपने भटकते क़दमों को, मंजिल का निशान मालूम नहीं |
हमने भी कभी इस गुलशन में, एक ख्वाब-ए-बहारां देखा था
कब फूल झडे, कब गर्द उड़ी, कब आई खिज़ां मालूम नहीं |
दिल शोला-ए-ग़म से खाक हुआ, या आग लगी अरमानों में
क्या चीज़ जली क्यूं सीने से उठता है धुआं मालूम नहीं |
बरबाद वफ़ा का अफ़साना हम किससे कहें और कैसे कहें
खामोश हैं लब और दुनिया को अश्कों की ज़ुबां मालूम नहीं |
[Composer:
Roshan, Singer : Asha Bhonsle, Actor : Meena Kumari, Helen, Producer : Jan Nisar Akhtar, Director : M.Sadiq ]
No comments:
Post a Comment