August 28, 2012

पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है (शगुन -1964) Parbaton ke pedon par sham ka basera hai (Shagoon-1964)

पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
सुरमई उजाला है, चम्पई अंधेरा है ।
 

दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
 
आसमां ने खुश हो के रँग सा बिखेरा है ।

ठहते-ठहरे पानी में गीत सरसराते हैं
भीगे-भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है ।

 
क्यों जज़्ब हो जाएं इस  हसीं नज़ारे में
 
रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है ।
 
अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों है
जब से पा लिया तुमको सब   जहां मेरा है ।



[Composer : Khayyam, Singer : Md. Rafi, Suman Kalyanpur,  Production : Shaheen Art, Director : Nazar, Actor : Wahida Rehman, Kamaljeet]



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