तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा ।
जिस इल्म ने इंसान को तकसीम किया है
उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है
तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा ।
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती
हमने कहीं भारत कहीं इरान बनाया
जो तोड़ दे हर बंध वो तूफ़ान बनेगा ।
कुरआन न हो जिसमे वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमे वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा ।
ये महलों में बैठे हुए ये कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह-ए-चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा ।
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा ।
अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है
तुझको किसी मजहब से कोई काम नहीं है जिस इल्म ने इंसान को तकसीम किया है
उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है
तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा ।
मालिक ने हर इंसान को
इंसान बनाया
हमने उसे हिन्दू या
मुसलमान बनायाकुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती
हमने कहीं भारत कहीं इरान बनाया
जो तोड़ दे हर बंध वो तूफ़ान बनेगा ।
नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सां को जो रौंदे वो कदम तेरा नहीं हैकुरआन न हो जिसमे वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमे वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा ।
ये दीन के ताजिर ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले ये महलों में बैठे हुए ये कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह-ए-चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा ।
[Composer: N.Dutta; Singer : Rafi; Producer ; B.R.Chopra, Director : Yash Chopra; Actor : Manmohan Krishan]
Note : With this movie, Yash Chopra started his career as a Director.
thank you very much for the full lyrics.
ReplyDeletethanks for making a blog on our favorite Adbul Hayee.
after searching too much.......i got correct lyrics.......thanks for sharing............
ReplyDeleteईद के दिन यह गीत याद आया और इस गीत और फिल्म के लिए काम करने वाली तीन हस्तियां साहिर लुधियानवी, मोहम्मद रफी और निर्माता बी.आर. चोपड़ा।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteईद के दिन यह गीत TO याद आया OR तीन हस्तियां साहिर लुधियानवी, मोहम्मद रफी और निर्माता बी.आर. चोपड़ा PAR USME LIKHA HOA MESSAGE ITNE SAALO TAK LOGO KO ABHI TAK SAMAZ NHI AAYA
DeleteLast para is most relevant to covid pandemic, what a vision of poet..
Deleteदीन के बदले दिन लिखा है। दीन =धर्म और दिन = दिवस। ऐसी गलतियों के चलते गीत के भाव को समझने में कठिनाइ होती है।
ReplyDeletethank you very much because it is useful in my mphil Thesis.
ReplyDeleteSahir is my favourite. All his songs are a treasure trove for music lovers.
ReplyDeleteThanks a Lot!
ReplyDeleteFor decades, I have been so confused about the 4th line in the last stanza: काँटों के एवज़ रूहे-चमन बेचने वाले!
I thought it was काँटों के एवज़-रू हैं चमन बेचने वाले;" obviously it didn't make sense! Finally I got it right! THANKS!!
Can you please explain meaning of this line?
DeleteRuh e chaman means the soul of the garden. Poet says that our power hungry and selfish politicins donot hesitate to sell the soul of India i.e.the garden if their selfish desires i.e.kanto are fulfilled.
DeleteThanks for for meaning. Some urdu words are difficult to understand. Can you explain meaning of entire song in marathi or English?
DeleteReally classic
ReplyDeleteI want this song chords plz
ReplyDeleteAaj ke Neta kaash Saahir sahab ke is amar geet ko apni prena banate to itna shor sharaaba na hota
ReplyDeleteThis song is the best one ever written on Humanity and religion. My salute to Sahir, the greatest lyricist of our time, who explained to us why it is important rise above religion and love humanity. Sahir will always be remembered for such thought provoking lyrics and songs.
ReplyDeleteसिर्फ साहिर लुधियानवी से ही उम्मीद थी
ReplyDeleteJitni baar suno dil bharta hi nahi
ReplyDeleteआज के दौर में और भी प्रासंगिक
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत।
ReplyDeleteSahir ludhiyanvi sahab ko apna adarsh manta hun unhen mera shat shat naman
ReplyDelete