May 19, 2013

तुम न जाने किस जहाँ में खो गये (सजा - 1951) Tum na jane kis jahan me kho gaye (Sazaa - 1951)

तुम जाने किस जहां  में खो गये
हम भरी दुनिया में तनहा हो गये
तुम जाने किस जहां में ...

मौत भी आती नहीं

आस भी जाती नहीं,
दिल को ये क्या हो गया

कोई  शै  भाती नहीं,
लूट कर मेरा जहां,

छुप गये हो तुम कहाँ,
तुम कहाँ, तुम कहाँ, तुम कहाँ,
तुम जाने किस जहां में ...


एक जां और लाख ग़म
घुट के रह जाये दम,
आओ तुम को देख लें

डूबती नज़रों से हम,
लूट कर मेरा जहां छुप गये हो तुम कहाँ ,

तुम कहाँ, तुम कहाँ, तुम कहाँ
तुम जाने किस जहां में ...
 
[Composer : S.D.Burman, Singer : Lata Mangeshkar,  Producer : G.P. Sippy,  Director : Fali Mistry,  Actor : Nimmi]
 
[Note :This is the 2nd movie of Sahir, the first one being Naujawaan. Sahir got to write only one song for the movie. Other songs are by Rajinder Krishan. Even the casting of the movie mentions Rajinder Krishan only as lyricist]
 


May 18, 2013

बुझा दिये हैं खुद अपने हाथों (शगुन -1964) Bujha diye hain khud apno hathon (Shagoon -1964)

बुझा दिये हैं खुद अपने हाथों, मुहब्बतों के दिये जला के
मेरी वफ़ा ने उजाड़ दी हैं, उम्मीद की बस्तियाँ बसा के |

तुझे भुला देंगे अपने दिल से, ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
दिल को मालूम है हम को, जियेंगे कैसे तुझे भुला के |

कभी मिलेंगे जो रास्ते में, तो मुँह फिरा कर पलट पड़ेंगे
कहीं सुनेंगे जो नाम तेरा, तो चुप रहेंगे नज़र झुका के |

सोचने पर भी सोचती हूँ,  कि ज़िन्दगानी में क्या रहेगा
तेरी तमन्ना को ख़त्म कर के, तेरे खयालों से दूर जाके |

[Composer : Khayyam, Singer : Suman Kalyanpur, Production : Shaheen Art,  Director : Nazar, Actor : Wahida Rehman, Kamaljeet]


May 16, 2013

छू लेने दो नाज़ुक होठों को (काजल -1965) Choo lene do nazuk hontho ko (Kaajal -1965)

छू लेने दो नाज़ुक होठों को, कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये
क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है, वो सबसे हसीं ईनाम हैं ये |

शरमा के यूँ ही खो देना, रंगीन जवानी की घड़ियाँ
बेताब धड़कते सीनों का, अरमान भरा पैगाम है ये  |

अच्छों को बुरा साबित करना, दुनिया की पुरानी आदत है
इस मै को मुबारक चीज़ समझ, माना कि बहुत बदनाम है ये  | 

[Composer : Ravi, Singer : Md.Rafi, Production : Kalpanalok; Direction :Ram MaheshwaryActor : Raj Kumar, Meena Kumari]



ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही (Ghazal -1964) Taj tere liye ek mazhar-e-ulfat hi sahi (Ghazal -1964)

ताज तेरे लिये इक मज़हर--उल्फ़त ही सही
तुम को इस वादी--रंगीं से अक़ीदत ही सही 
मेरी महबूब कहीं और मिला कर मुझ से । 

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मुहब्बत की है
कौन कहता है कि सादिक़ थे जज़्बे उनके
लेकिन उनके लिये तशहीर का सामान नहीं
क्यों के वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे । 

ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा, ये महल
ये मुनक़्क़श दर--दीवार, ये महराब ये ताक़
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक । 

मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे । 

[Composer : Madan Mohan, Singer : Md. Rafi, Actor : Sunil Dutt, Meena Kumari]


Note on Sahir :  The nazm used in the movie is a part of the original nazm ‘Taj Mahal’, which shot Sahir Ludhianvi to instant fame. He wrote it when he was in Lahore. Alongwith ‘Chakle’ and ‘Parchhaiyan’ this nazm is considered as best work of Sahir till today. In movie only three paragraphs of this nazm were used. The original nazm is given here as under :


ताज तेरे लिये इक मज़हर--उल्फ़त ही सही
तुम को इस वादी--रंगीं से अक़ीदत ही सही

मेरे महबूब ! कहीं और मिला कर मुझ से |
बज़्म--शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या मानी
सब्त जिस राह पे हों सतवत--शाही के निशाँ
उस पे उल्फ़त भरी रूहों का सफ़र क्या मानी |

मेरी महबूब पस--पदर्आ--तश्हीर--वफ़ा
तू ने सतवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली
अपने तारीक मकानों को तो देखा होता |

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मुहब्बत की है
कौन कहता है कि सादिक़ थे जज़्बे उन के
लेकिन उन के लिये तश्हीर का सामान नहीं
क्यों के वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे |

ये इमारातो-मक़ाबिर ये फ़सीलें, ये हिसार
मुतलक -उल-हुक्म शहंशाहों की अज़मत के सतूं

दामन--दहर पे उस रंग की गुलकारी है
जिस में शामिल है तेरे और मेरे अजदाद का खूं |

मेरी महबूब! उन्हें भी तो मुहब्बत होगी
जिनकी सन्नाई ने बख्शी है इसे शक्ले -जमील
उनके प्यारों के मक़ाबिर रहे बे-नामो-नुमूद
आज तक उन पे जलाई किसी ने क़ंदील  |


ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर--दीवार, ये महराब ये ताक़
इक शहनशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक |

मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे |


रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ (गजल -1964) Rang aur noor ki baarat kise pesh karun (Ghazal -1964)

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ |

मैने जज़बात निभाए हैं उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह
तेरे सेहरे की ये सौगात किसे पेश करूँ |

ये मेरे शेर मेरे आखिरी नज़राने हैं
मैं उन अपनों मैं हूँ जो आज से बेगाने हैं
बेतल्लुक सी मुलाकात किसे पेश करूँ |

सुर्ख जोड़े की तबोताब मुबारक हो तुझे
तेरी आँखों का नया ख़्वाब मुबारक हो तुझे
मैं 
ये  ख़्वाहिश, ये ख़यालात किसे पेश करूँ |

कौन कहता है के चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे तेरा प्यार उसी का हक़ है
मुझसे कह दे मैं तेरा हाथ किसे पेश करूँ । 

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ |

[Composer : Madan Mohan, Singer : Md. Rafi, Actor : Sunil Dutt, Meena Kumari]  


नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ (ग़ज़ल 1964) Nagma o sher ki baarat kise pesh karun (Ghazal -1964)

नग़मा--शेर की सौगात किसे पेश करूँ
ये छलकते हुए जज्बात किसे पेश करूँ |

शोख़ आँखों के उजालों को लुटाऊं किस पर
मस्त ज़ुल्फ़ों की सियह रात किसे पेश करूँ |

गर्म सांसों में छुपे राज़ बताऊँ किसको
नर्म होठों में दबी बात किसे पेश करूँ |

कोई हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ |

[Composer : Madan Mohan, Singer : Lata Mangeshkar, Actor : Sunil Dutt, Meena Kumari]